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Thursday, March 7, 2019

लोकसभा 2019: पीएम नरेंद्र मोदी बुलाएंगे आज आखिरी कैबिनेट बैठक


लोकसभा चुनाव 2019 से आगे, पीएम नरेंद्र मोदी आज आखिरी बार 16वीं लोकसभा के कैबिनेट मंत्रियों से मिलेंगे। बैठक में, पीएम मोदी विश्वविद्यालयों में संकायों पर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने और उच्च शिक्षा संस्थानों में 10% ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के लिए धन का आवंटन करने की संभावना है।
लोकसभा 2019: पीएम नरेंद्र मोदी बुलाएंगे आज आखिरी कैबिनेट बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को इस पद के लिए आखिरी बार अपने कैबिनेट मंत्रियों से मिलेंगे। 16वीं लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अपने आधिकारिक निवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री से मिलेंगे। बैठक में, पीएम मोदी विश्वविद्यालयों और सरकारी-संबद्ध कॉलेजों में संकायों के लिए आरक्षण तंत्र की 200-सूत्रीय रोस्टर प्रणाली को बहाल करने की संभावना रखते हैं।

रिपोर्टों में कहा गया है कि 16वीं लोकसभा बैठक में पीएम मोदी सरकार के लिए अध्यादेश पारित करने और उच्चतम न्यायालय के फैसले को रद्द करने का यह अंतिम मौका होगा, जिसने रिक्त SC / ST शिक्षकों में उम्मीदवारों की भर्ती के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था कोटा-विभाग-वार को ठीक करने के बजाय संस्था-वार पोस्ट करें। मई में लोकसभा चुनाव 2019 होने वाले हैं, इसलिए भारत निर्वाचन आयोग जल्द ही आम चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा।

उच्च शिक्षा संस्थानों में 10% ईडब्ल्यूएस कोटे के कार्यान्वयन के लिए 4000 करोड़ रुपये का आवंटन एक और बड़ी उम्मीद है। बैठक से पहले मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए, 25% सीटों को जोड़ने के लिए संकेत दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि मौजूदा SC / ST आरक्षण प्रभावित न हों।

जबकि केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल शीर्ष अधिकारियों के साथ कई बैठकों का आयोजन करेंगे, ताकि उनके मार्गदर्शन में किए गए कार्यों का अंतिम आकलन और भारतीय रेलवे का विकास हो सके।

रिपोर्टों के अनुसार, निदेशक जनरलों, मंडल रेल प्रबंधकों, महाप्रबंधकों, रेलवे पीएसयू के प्रमुखों और रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्यों को बैठक में भाग लेने के लिए निर्देशित किया गया है।

Wednesday, March 6, 2019

समुद्री मार्ग से हो सकता है पुलवामा से भी बड़ा आतंकी हमला नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने जताई आशंका


भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने समुद्री मार्ग से एक बड़े आतंकी हमले की आशंका जताई है। उनका कहना है कि आतंकी भारत में घुसपैठ के लिए समुद्री रास्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। नौसेना प्रमुख ने कहा कि तीन सप्ताह पहले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने फिदाइन हमला किया था। इसमें सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे। उनका कहना है कि अब पुलवामा से बड़ा आतंकी हमला हो सकता है और इस बार आतंकी समुद्र के रास्ते भारत में हमला कर सकते हैं।

समुद्री मार्ग से हो सकता है पुलवामा से भी बड़ा आतंकी हमला नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने जताई आशंका
भारतीय इंटेलीजेंस की रिपोर्ट है कि बड़ी वारदात के लिए आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पाक का नाम लिए बगैर लांबा ने कहा कि आतंकी हमलों की साजिश चरमपंथी रच रहे हैं, लेकिन उन्हें मदद ऐसे देश से मिल रही है जो भारत को हमेशा अस्थिर रखना चाहता है।

लांबा का कहना है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में भी आतंकी सक्रिय हैं। इस क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से आतंकी अपनी हरकतें बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि विश्व में कुछ ही देश हैं जो आतंकवाद से अछूते हैं। आतंवाद वैश्विक रूप ले चुका है। इसका खतरा अब लगातार बढ़ता जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद से खुफिया एजेंसियां आशंका जता रही हैं कि पाक समर्थित आतंकी संगठन फिर से किसी हमले को अंजाम दे सकते हैं। सीमा पर चौकसी है इसलिए समुद्री रास्ते से घुसपैठ हो सकती है।

Monday, February 25, 2019

अरुणाचल प्रदेश में PRC को लेकर बढ़ता आक्रोश सड़कों पर उतरे लोग


बीजेपी असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के जरिए लोकसभा चुनाव 2019 में पूर्वोत्तर के राज्यों में माहौल बनाकर बड़ी जीत का ख्वाब देख रही थी। लेकिन जिस तरह से चुनाव से ठीक पहले नागरिकता संशोधन विधेयक विरोध और अब स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (PRC) को लेकर अरुणाचल का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। इस विरोध की आंच में बीजेपी के जीत के मंसूबे झुलसते हुए नजर आ रहे हैं।
People in Arunachal Pradesh are increasingly angry at the PRC

अरुणाचल प्रदेश में राज्य के बाहर के 6 समुदायों को स्थायी निवासी होने का सर्टिफिकेट देने के खिलाफ लोग आक्रोशित हैं और सड़क पर उतरकर हिंसा कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने उप मुख्यमंत्री के घर में आग लगा दी है। बढ़ते विरोध के बीच राज्य सरकार स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (PRC) के मामले पर बैकफुट पर आ गई है। PRC अब बीजेपी के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है।

पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में लोकसभा की कुल 25 सीटें आती हैं, जिसपर बीजेपी का खास फोकस है। मौजूदा समय में बीजेपी के पास पूर्वोत्तर की 8 सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर खास ध्यान दिया है। इसी का नतीजा है कि बीजेपी ने पूर्वोत्तर को ‘कांग्रेस मुक्त’ कर दिया है। वहीं, पूर्वोत्तर के राज्यों में बीजेपी खुद सरकार चला रही है या फिर सहयोगी दल के रूप में है।

दरअसल बीजेपी लोकसभा चुनाव में उत्तर और पश्चिम भारत में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई पूर्वोत्तर के राज्यों के जरिए करना चाहती है। लेकिन जिस तरह से पूर्वोत्तर में विरोध के सुर उठे हैं, उससे बीजेपी के प्लान को बड़ा धक्का लगता हुआ नजर आ रहा है।

दरअसल असम में NRC की मसौदा सूची जारी होने के बाद अवैध घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहे पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों द्वारा उनके राज्य में NRC लागू करने की मांग होने लगी थी। केंद्र की बीजेपी सरकार के इस कदम को जबरदस्त समर्थन हासिल हुआ। बता दें कि बांग्लादेश से आए मुस्लिम घुसपैठियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता कर बीजेपी इस मुद्दे को भावनात्मक रूप देकर माहौल बनाती रही है।

वहीं, बीजेपी ने इन चुनावों में पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का वादा अपने घोषणापत्र में किया था। लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक और स्थायी निवासी प्रमाण पत्र को लेकर विरोध के सुर जिस तरह उठे हैं। वो बीजेपी को बेचैन कर रहे हैं।

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में लोग और क्षेत्रीय दल विरोध में खड़े हो गए। हालांकि इनमें से अधिकतर क्षेत्रीय दल पूर्वोत्तर के अपने-अपने राज्यों में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। इसी का नतीजा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पास होने के बावजूद राज्यसभा से पास नहीं हो सका है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर चुनावी माहौल बनाने की कवायद शुरू कर दी थी, लेकिन पूर्वोत्तर में विरोध के चलते भाजपा ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।

असम में 14 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को 2014 में सात सीटें मिली थीं। बीजेपी 2019 के चुनाव में असम में पूरी तरह से क्लीन स्वीप करने की योजना पर काम कर रही है। पीआरसी के जरिए बीजेपी ने अरुणाचल ही नहीं बल्कि असम को भी साधने के मद्देनजर बड़ा दांव चला था, लेकिन यह दांव उसके गले की हड्डी बन गया है।

संयुक्त उच्चाधिकार समिति (जेएचपीसी) ने ऐसे छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश की है जो मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के नहीं हैं बल्कि असम के रहने वाले हैं। लेकिन दशकों से नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं। जिनमें देओरिस, सोनोवाल कचारी, मोरंस, आदिवासी, मिशिंग और गोरखा शामिल हैं। इन्हें असम में अनुसूचित जाति का दर्ज मिला हुआ है। ऐसे में सरकार ने उन्हें अरुणाचल में भी स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने का दांव चला था, लेकिन विरोध के चलते उन्हें यह वापस लेना पड़ा है।
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