Monday, February 25, 2019

अरुणाचल प्रदेश में PRC को लेकर बढ़ता आक्रोश सड़कों पर उतरे लोग


बीजेपी असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के जरिए लोकसभा चुनाव 2019 में पूर्वोत्तर के राज्यों में माहौल बनाकर बड़ी जीत का ख्वाब देख रही थी। लेकिन जिस तरह से चुनाव से ठीक पहले नागरिकता संशोधन विधेयक विरोध और अब स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (PRC) को लेकर अरुणाचल का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। इस विरोध की आंच में बीजेपी के जीत के मंसूबे झुलसते हुए नजर आ रहे हैं।
People in Arunachal Pradesh are increasingly angry at the PRC

अरुणाचल प्रदेश में राज्य के बाहर के 6 समुदायों को स्थायी निवासी होने का सर्टिफिकेट देने के खिलाफ लोग आक्रोशित हैं और सड़क पर उतरकर हिंसा कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने उप मुख्यमंत्री के घर में आग लगा दी है। बढ़ते विरोध के बीच राज्य सरकार स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (PRC) के मामले पर बैकफुट पर आ गई है। PRC अब बीजेपी के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है।

पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में लोकसभा की कुल 25 सीटें आती हैं, जिसपर बीजेपी का खास फोकस है। मौजूदा समय में बीजेपी के पास पूर्वोत्तर की 8 सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर खास ध्यान दिया है। इसी का नतीजा है कि बीजेपी ने पूर्वोत्तर को ‘कांग्रेस मुक्त’ कर दिया है। वहीं, पूर्वोत्तर के राज्यों में बीजेपी खुद सरकार चला रही है या फिर सहयोगी दल के रूप में है।

दरअसल बीजेपी लोकसभा चुनाव में उत्तर और पश्चिम भारत में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई पूर्वोत्तर के राज्यों के जरिए करना चाहती है। लेकिन जिस तरह से पूर्वोत्तर में विरोध के सुर उठे हैं, उससे बीजेपी के प्लान को बड़ा धक्का लगता हुआ नजर आ रहा है।

दरअसल असम में NRC की मसौदा सूची जारी होने के बाद अवैध घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहे पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों द्वारा उनके राज्य में NRC लागू करने की मांग होने लगी थी। केंद्र की बीजेपी सरकार के इस कदम को जबरदस्त समर्थन हासिल हुआ। बता दें कि बांग्लादेश से आए मुस्लिम घुसपैठियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता कर बीजेपी इस मुद्दे को भावनात्मक रूप देकर माहौल बनाती रही है।

वहीं, बीजेपी ने इन चुनावों में पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का वादा अपने घोषणापत्र में किया था। लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक और स्थायी निवासी प्रमाण पत्र को लेकर विरोध के सुर जिस तरह उठे हैं। वो बीजेपी को बेचैन कर रहे हैं।

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में लोग और क्षेत्रीय दल विरोध में खड़े हो गए। हालांकि इनमें से अधिकतर क्षेत्रीय दल पूर्वोत्तर के अपने-अपने राज्यों में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। इसी का नतीजा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पास होने के बावजूद राज्यसभा से पास नहीं हो सका है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर चुनावी माहौल बनाने की कवायद शुरू कर दी थी, लेकिन पूर्वोत्तर में विरोध के चलते भाजपा ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।

असम में 14 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को 2014 में सात सीटें मिली थीं। बीजेपी 2019 के चुनाव में असम में पूरी तरह से क्लीन स्वीप करने की योजना पर काम कर रही है। पीआरसी के जरिए बीजेपी ने अरुणाचल ही नहीं बल्कि असम को भी साधने के मद्देनजर बड़ा दांव चला था, लेकिन यह दांव उसके गले की हड्डी बन गया है।

संयुक्त उच्चाधिकार समिति (जेएचपीसी) ने ऐसे छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश की है जो मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के नहीं हैं बल्कि असम के रहने वाले हैं। लेकिन दशकों से नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं। जिनमें देओरिस, सोनोवाल कचारी, मोरंस, आदिवासी, मिशिंग और गोरखा शामिल हैं। इन्हें असम में अनुसूचित जाति का दर्ज मिला हुआ है। ऐसे में सरकार ने उन्हें अरुणाचल में भी स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने का दांव चला था, लेकिन विरोध के चलते उन्हें यह वापस लेना पड़ा है।

इमरान खान ने पीएम मोदी से लगाई शांति की गुहार


पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद भारत के सख्त रुख से पाकिस्तान सहम हुआ है और केंद्र सरकार से शांति लाने का मौका देने का दरख्वास्त कर रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी से शांति लाने को एक मौका देने की बात कही और उन्हें यकीन दिलाया कि वह अपनी जुबान पर कायम रहेंगे और अगर भारत पुलवामा हमले पर पाकिस्तान को कार्यवाही योग्य खुफिया जानकारी उपलब्ध कराता है तो इस पर तत्काल कार्यवाही की जाएगी।  
 
Imran Khan invites peace from PM Modi
इमरान खान की यह टिप्पणी राजस्थान के टोंक जिले में मोदी की उस रैली के बाद आयी है जिसमें उन्होंने कहा था, ‘आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया में आम सहमति है। आतंकवाद के दोषियों को दंडित करने के लिए हम मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। इस बार हिसाब होगा और बराबर होगा। यह बदला हुआ भारत है, इस दर्द को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम जानते हैं आतंकवाद को कैसे कुचलना है।’

पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद खान को बधाई देने के लिए फोन पर उनके साथ हुई अपनी बातचीत को याद करते हुए मोदी ने कहा कि मैंने उनसे कहा, ‘आइए गरीबी और अशिक्षा के खिलाफ लड़ाई लड़ें। इस पर खान ने कहा था कि मोदीजी मैं पठान का बच्चा हूं, सच्चा बोलता हूं, सच्चा करता हूं। आज उनके शब्दों को कसौटी पर तौलने का वक्त है।’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी जुबान पर कायम हैं कि अगर भारत कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी देता है तो हमलोग तत्काल कार्रवाई करेंगे।’ इमरान ने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को ‘शांति को एक मौका’ देना चाहिए।

इससे पहले 19 फरवरी को इमरान ने भारत को आश्वस्त किया था कि वह पुलवामा हमले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जिसे पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी संगठन ने अंजाम दिया था। इमरान ने कहा कि अगर भारत ‘कार्रवाई के योग्य खुफिया जानकारी’ साझा करता है तो पाकिस्तान जरूर कार्रवाई करेगा। हालांकि उन्होंने ‘बदले की भावना’ से कोई जवाबी कार्रवाई शुरू करने के खिलाफ भारत को चुनौती दी। बहरहाल भारत ने कहा कि हमले की जांच को लेकर खान की पेशकश बहाना है।

Wednesday, February 20, 2019

किनोवा (बथुआ) की खेती से करें मोटी कमाई

दक्षिण अमेरिका के एंडीज क्षेत्र में जन्म लिया है कि वार्षिक संयंत्र Chenopodium quinoa से उत्पादन किया है कि एक खाद्य बीज है। यह एक अनाज माना जाता है और पकाया जाता है जब छोटे बीज एक शराबी स्थिरता और एक हल्के, नाजुक अखरोट के स्वाद के साथ, थोड़ा कुरकुरा है। Quinoa प्रोटीन, कैल्शियम और लोहे में उच्च है और एक अपेक्षाकृत अच्छा विटामिन ई के स्रोत और विटामिन बी के कई है।  

Quinoa कई आधुनिक व्यंजनों में उपयोग के लिए क्षमता है और स्वास्थ्य खाद्य दुकानों और प्रमुख सुपरमार्केट से उपलब्ध उत्पादों की एक बड़ी रेंज देखते हैं। यह मुक्त लस है, Quinoa भी लस असहिष्णुता के साथ उन लोगों के लिए अपील की। उत्पाद बीज, आटा, पास्ता और रोटी शामिल हैं।
किनोवा (बथुआ) की खेती से करें मोटी कमाई

किनोवा बथुआ प्रजाति का सदस्य है जिसका वनस्पति नाम चिनोपोडियम किनोवा है ग्रामीण क्षेत्र में शब्द उच्चारण के कारण इसे किनोवा, केनवा आदि कई नाम से बताया जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिकी देशों में की जाती है। जिसमें इंग्लैंड, कनाडा, आस्टेलिया, चाइना, बोलिविया, पेरू इक्वाडोर आदि| किनोवा की खेती इस फसल को रबी के मौसम में उगाया जाता है। इसका उपयोग गेहूँ चावल सूजी की तरह खाने में किया जाता है। 

कैसे करें खेत की तैयारी

खेत की तैयारी के लिए खेत को अच्छी तरह से 2 और 3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए अंतिम जुताई से पहले खेत में 5,6 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद मिला देना चाहिए फिर उचित जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।

कब करें किनोवा की बुआई

इसकी बुआई अक्तूबर, फरवरी, मार्च और कई जगह जून-जुलाई में भी की जाती है | इसका बीज बहुत ही छोटा होता है इसलिए प्रति बीघे में 400 से 600 ग्राम पर्याप्त होता है इसकी बुआई कतारों में और सीधे बिखेर कर भी कर सकते है। इसका बीज खेत की मिट्टी में 1.5 सेमी से 2 सेमी तक गहरा लगाना चाहिए जब इसके पौधे 5,6 इंच के हो जाये तब पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 से 14 इंच बना लेनी चाहिए| अन्य पौधे को हटा देना चाहिए।

सिचाई और खरपतवार

बुआई के तुरंत बाद सिचाई कर देना चाहिए इसके पौधे को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है फसल लगाने से काटने तक 3 से 4 बार पानी देना पर्याप्त रहता है। जब पौधे छोटे रहे तब खरपतवार को निकलवा देना चाहिए कीट और रोग प्रबंधन किनोवा के पौधे में कीटो और रोगों से लड़ने की बहुत ज्यादा क्षमता रहती है साथ ही पाले और सूखे को भी सहन कर सकते है। अभी तक इस पर किसी भी प्रकार के रोगों की जानकरी नही मिली है। 

फसल की कटाई और कढाई

किनोवा की फसल 100 दिनों में तैयार हो जाती है अच्छी विकसित फसल की ऊंचाई 4 से 6 फिट तक होती है इसको सरसों की तरह काट कर थ्रेसर मशीन में आसानी से निकाल सकते है बीज को निकालने के बाद कुछ दिनों की धुप आवश्यक होती है । प्रति बीघा उत्पादन 3 से 8 क्विंटल तक होता है।

किनोवा की मुख्य बातें

अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में इसका भाव 50 से 100 रुपये किलो तक है
100 ग्राम किनोवा में 14 ग्राम प्रोटीन, 7 ग्राम डायटरी फाइबर 197 मिली ग्राम मैग्नेशियम 563 मिली ग्राम पोटेशियम 5 मिली ग्राम विटामिन B पाया जाता है।
इसका प्रतिदिन सेवन करने पर हार्ट अटेक, कैंसर और सास सम्बन्धित बीमारियों में लाभ मिलता है।
कम पानी और कम खर्च में अच्छा लाभ देने वाली फसल है।
इसके पत्तों की भांजी बना कर भी खाया जा सकती है।
यह खून की कमी को दूर करता है|
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