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Sunday, January 12, 2020

प्लास्टिक चादर बिछा फसलों को पाले से बचा रहे किसान

प्लास्टिक चादर बिछा फसलों को पाले से बचा रहे किसान
शाहपुरा: राजस्थान में पाले से फसलों को बचाने के लिए किसानो ने अजीब तरीका अपनाया है। रातभर कड़ाके की ठंड और पाला पड़ने से फसल खराब हो रही है।

शाहपुरा जिले के किसान इस कड़ाके की ठंड और पाला से फसलों को बचाने के लिए खेतों में प्लास्टिक की चादर बिछा रहे हैं। पड़ने से फसल खराब हो रही है। किसानों का कहना है कि पाला पड़ने से हरी भरी फसल जलने लगी हैं। खेतों में सुबह चारों तरफ बर्फ की परतें जमी नजर आती हैं जिसकी वजह से फसलें तबाह हो गईं है। किसान खेतों में प्लास्टिक की चादर बिछाकर फसलों को बचा रहे हैं।

पाले के कारण फसलों के नुकसान को देखते हुए किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है। जिले के ग्रामीणों ने बताया की रायसर, बहलोड़, सामरेड़ सहित अन्य क्षेत्रों में लगातार रात में शीतलहर चलने से खेतों में बर्फ की मोटी परतें जमने के कारण चारों तरफ सफेद ही सफेद नजारा दिख रहा है।जिससे फसले मुरझाने लगी हैं पेड़ पौधे जलने लगे हैं।

पाला पड़ने के कारण सब्जियाँ पूरी तरह खराब हो गई हैं अन्य फसलें  सरसों, मटर, जौ, चना आदि भी पाले की चपेट में है। रात में किसान खेतों में प्लास्टिक की चादर बिछा कर फसलों का बचाव कर रहे है।

Tuesday, December 31, 2019

बथुआ की खेती कैसे करें सम्पूर्ण जानकारी

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बथुआ की खेती करना बहुत ही आसान है और आप साल में 3 बार बथुवे की खेती कर सकते है। बथुआ को इंटरनेशनल मार्केट में क्विनवा या क्विनोआ (Quinoa) के नाम से जाना जाता है।

इंटरनेशनल मार्केट में बथुवे की मांग बहुत ज्यादा है क्योंकि विदेशों में क्विनोआ का प्रयोग सुपरफूड के रूप में किया जाता है। विदेशों में बथुवे की प्रति क्विंटल कीमत लाखों में होती है।

अगर आप बथुआ की खेती करना चाहते है और आपके पास पूर्ण जानकारी नहीं है तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे अगर आप का कोई प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।

बथुआ की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी

क्विनवा बथुआ प्रजाति का सदस्य है जिसका वनस्पति नाम चिनोपोडियम क्विनवा है ग्रामीण क्षेत्र में शब्द उच्चारण के कारण इसे किनोवा, क्विनोआ, केनवा आदि कई नाम से बताया जाता है। अधिक्तर क्षेत्र में काले बीज वाला बथुआ खरपतवार के रूप में गेहूं, चना, मेथी आदि के साथ उपजता है।

सफ़ेद बीज वाले क्विनोआ की खेती की जाती है। काले बीज वाला बथुआ, खरपतवार के रूप हर प्रकार की मिट्टी में पनपता है। अतः आप किसी भी मिटटी में बथुवे की खेती कर सकते है।

बथुआ की बुवाई कब करें

क्विनोआ की बुवाई के समय हल्की ठण्ड होनी चाहिये अतः अक्तूबर,नवम्बर या फरवरी, मार्च और कई जगह जून-जुलाई में भी बथुआ की बुवाई की जाती है | इसका बीज बहुत ही महीन होता है इसलिए प्रति बीघे में 400 से 600 ग्राम मात्रा पर्याप्त होती है।

बथुआ को ट्रेक्टर से बुवाई कर सकते है या खाद के साथ मिला कर खेत में सीधे बिखेर कर भी कर सकते है।

इसका बीज खेत की मिट्टी में 1.5 सेमी से 2 सेमी तक गहरा लगाना चाहिए जब इसके पौधे 5,6 इंच के हो जाये तब पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 से 14 इंच बना लेनी चाहिए। अन्य पौधे को हटा देना चाहिए।

सिंचाई और खरपतवार

बथुवे की खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती क़्योंकि यह एक तरह का खरपतवार है। फसल लगाने से काटने तक 3 से 4 बार पानी देना पर्याप्त रहता है।

जब पौधे छोटे रहे तब खरपतवार को निकलवा देना चाहिए कीट और रोग प्रबंधन क्विनोआ के पौधे में कीटो और रोगों से लड़ने की बहुत ज्यादा क्षमता रहती है साथ ही पाले और सूखे को भी सहन कर सकते है।

फसल की कटाई और कढ़ाई

बथुआ की फसल 100 दिनों में तैयार हो जाती है। अच्छी विकसित फसल की ऊंचाई 4 से 6 फिट तक होती है इसको सरसों की तरह काट कर थ्रेसर मशीन में आसानी से निकाल सकते है बीज को निकालने के बाद कुछ दिनों तक धुप की आवश्यक होती है। क्विनोआ का प्रति बीघा उत्पादन 3 से 8 क्विंटल तक होता है।

क्विनवा को बेचने के लिए मार्केट 

किसान भाई अधिक मुनाफा और अधिक पैदावार होने के बाद भी बथुआ की खेती नहीं करते क़्योंकि हमारे आस पास क्विनोआ की खरीद के लिए कोई मार्केट नहीं है और यही कारण है की किसानो को इसकी खेती की जानकारी नहीं है।

अगर आप राजस्थान में रहते है तो आपके पास नीमच मंडी एक ऑप्शन है। नीमच मंडी में बथुआ की खरीद की जाती है लेकिन यहाँ पर क्विनोआ का प्रति क्विंटल भाव 12000 से 18000 तक रहता है।

क्विनोआ ग्रेन को लेकर आप अपना खुद का एक्सपोर्ट व्यपार शुरू कर सकते है। विदेशों में क्विनोआ ग्रेन डिमांड बहुत अधिक है। क्विनवा ग्रेन के लिए इंटरनेशनल मार्केट सिंगापुर, मलेसिया, पेरू, अमेरिका आदि है।

Wednesday, February 20, 2019

किनोवा (बथुआ) की खेती से करें मोटी कमाई

दक्षिण अमेरिका के एंडीज क्षेत्र में जन्म लिया है कि वार्षिक संयंत्र Chenopodium quinoa से उत्पादन किया है कि एक खाद्य बीज है। यह एक अनाज माना जाता है और पकाया जाता है जब छोटे बीज एक शराबी स्थिरता और एक हल्के, नाजुक अखरोट के स्वाद के साथ, थोड़ा कुरकुरा है। Quinoa प्रोटीन, कैल्शियम और लोहे में उच्च है और एक अपेक्षाकृत अच्छा विटामिन ई के स्रोत और विटामिन बी के कई है।  

Quinoa कई आधुनिक व्यंजनों में उपयोग के लिए क्षमता है और स्वास्थ्य खाद्य दुकानों और प्रमुख सुपरमार्केट से उपलब्ध उत्पादों की एक बड़ी रेंज देखते हैं। यह मुक्त लस है, Quinoa भी लस असहिष्णुता के साथ उन लोगों के लिए अपील की। उत्पाद बीज, आटा, पास्ता और रोटी शामिल हैं।
किनोवा (बथुआ) की खेती से करें मोटी कमाई

किनोवा बथुआ प्रजाति का सदस्य है जिसका वनस्पति नाम चिनोपोडियम किनोवा है ग्रामीण क्षेत्र में शब्द उच्चारण के कारण इसे किनोवा, केनवा आदि कई नाम से बताया जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिकी देशों में की जाती है। जिसमें इंग्लैंड, कनाडा, आस्टेलिया, चाइना, बोलिविया, पेरू इक्वाडोर आदि| किनोवा की खेती इस फसल को रबी के मौसम में उगाया जाता है। इसका उपयोग गेहूँ चावल सूजी की तरह खाने में किया जाता है। 

कैसे करें खेत की तैयारी

खेत की तैयारी के लिए खेत को अच्छी तरह से 2 और 3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए अंतिम जुताई से पहले खेत में 5,6 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद मिला देना चाहिए फिर उचित जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।

कब करें किनोवा की बुआई

इसकी बुआई अक्तूबर, फरवरी, मार्च और कई जगह जून-जुलाई में भी की जाती है | इसका बीज बहुत ही छोटा होता है इसलिए प्रति बीघे में 400 से 600 ग्राम पर्याप्त होता है इसकी बुआई कतारों में और सीधे बिखेर कर भी कर सकते है। इसका बीज खेत की मिट्टी में 1.5 सेमी से 2 सेमी तक गहरा लगाना चाहिए जब इसके पौधे 5,6 इंच के हो जाये तब पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 से 14 इंच बना लेनी चाहिए| अन्य पौधे को हटा देना चाहिए।

सिचाई और खरपतवार

बुआई के तुरंत बाद सिचाई कर देना चाहिए इसके पौधे को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है फसल लगाने से काटने तक 3 से 4 बार पानी देना पर्याप्त रहता है। जब पौधे छोटे रहे तब खरपतवार को निकलवा देना चाहिए कीट और रोग प्रबंधन किनोवा के पौधे में कीटो और रोगों से लड़ने की बहुत ज्यादा क्षमता रहती है साथ ही पाले और सूखे को भी सहन कर सकते है। अभी तक इस पर किसी भी प्रकार के रोगों की जानकरी नही मिली है। 

फसल की कटाई और कढाई

किनोवा की फसल 100 दिनों में तैयार हो जाती है अच्छी विकसित फसल की ऊंचाई 4 से 6 फिट तक होती है इसको सरसों की तरह काट कर थ्रेसर मशीन में आसानी से निकाल सकते है बीज को निकालने के बाद कुछ दिनों की धुप आवश्यक होती है । प्रति बीघा उत्पादन 3 से 8 क्विंटल तक होता है।

किनोवा की मुख्य बातें

अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में इसका भाव 50 से 100 रुपये किलो तक है
100 ग्राम किनोवा में 14 ग्राम प्रोटीन, 7 ग्राम डायटरी फाइबर 197 मिली ग्राम मैग्नेशियम 563 मिली ग्राम पोटेशियम 5 मिली ग्राम विटामिन B पाया जाता है।
इसका प्रतिदिन सेवन करने पर हार्ट अटेक, कैंसर और सास सम्बन्धित बीमारियों में लाभ मिलता है।
कम पानी और कम खर्च में अच्छा लाभ देने वाली फसल है।
इसके पत्तों की भांजी बना कर भी खाया जा सकती है।
यह खून की कमी को दूर करता है|

Saturday, February 9, 2019

छत्तीसगढ़ राज्य के बजट में खुला किसानों के लिये पिटारा

चुनाव का समय कहें या किसानों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया बजट कहें| कुछ भी हो लेकिन यह बजट से किसानों का कहलायेगा| क्योंकि अब तक राज्य का सबसे बड़ा बजट विधान सभा में पेश किया गया है | हम बात कर रहें है छत्तीसगढ़ के जहां पर वित्त मंत्री भूपेश सिंह बघेल ने वर्ष 2019 – 20 का बजट पेश किया गया है जो वह पिछले वर्ष 83,096 करोड़ रुपया के मुकाबले 91,542 करोड़ रुपया है| यह बजट पिछले वर्ष का मुकाबले 10.1 प्रतिशत अधिक है|

लेकिन किसान समाधान अपने पाठकों के लिए कृषि तथा किसानों के प्रति कटिबद्ध है इसलिए छत्तीसगढ़ की कृषि बजट की पूरी जानकारी दिया जा रहा है| वर्ष 2019 – 20 में छत्तीसगढ़ का कृषि बजट 21,597 करोड़ रुपया है जो पिछले वर्ष के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा है| देश का संभवतः पहला राज्य है जो कृषि के लिए बजट का 21 प्रतिशत दिया है | एसे तो राष्ट्रीय स्तर पर कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत है जबकि छत्तीसगढ़ का वृद्धि दर 3.99 फीसदी है

Chhattisgarh State budget for farmers

बजट को एक – एक कर समझते हैं | जिसमें कृषि , पशुपालन-मछलीपालन, मुर्गी पालन, सिंचाई तथा ऊर्जा क्षेत्र कोहमें यह देखना होगा की सरकार ने पिछले वर्ष के मुकाबले राशी बढ़ाई है या कम किया है

कृषि क्षेत्र के लिए बजट में प्रावधान 

किसानों के सबसे बड़ा मांग यह है की फसल का लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा दिया जाये| इसको लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के धान का मूल्य 25,00 रु./ किवंटल दे रही है| इसके लिए सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपया का प्रावधान किया गया है | प्रदेश में 15 लाख धान उत्पादक किसान 85 लाख टन धान की विक्री करते है जिससे इस मूल्य वृद्धि से लाभ मिलेगा| ऐसा नहीं है की यह राशी केवल इसी वर्ष दिया गया है| बल्कि वर्ष 2018 – 19 के खरीफ खरीदी के लिए 10,597 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन राशी दिया गया था जो इस वर्ष बढ़कर 19733 करोड़ रुपया हो गया है | सरकार ने सोयाबीन तथा गन्ना किसानों का भी ध्यान रखा गया है | बल्कि धान तथा गन्ना फसलों के किसानों के लिए क्रमशः 10 करोड़ तथा 50 करोड़ रुपया रुपये का प्रावधान किया गया है | इसके अलावा समर्थन मूल्य पर दलहन तथा तिलहन की भी खरीदी के करने के लिए नवीन मद में 7 करोड़ 12 लाख का प्रावधान किया है | मक्का खरीदी के लिए राज्य सरकार ने 26 जिलों के 257 खरीदी केन्द्रों पर खरीदी सुनिश्चित किया है | किसानों की मक्का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी हो सके इसके लिए 1700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है | छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को पहले ही ग्रामीण बैंक एवं सहकारी बैंक 10,000 करोड़ रुपया का लोन माफ किया गया है | अब सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक का लोन माफ करने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है | किसानों पर ऋण रहने के कारण दुबारा ऋण नहीं मिल पाता था | लेकिन कर्ज माफ़ी के बाद किसानों को दुबारा कर्ज मिलने लगेगा | इसलिए राज्य सरकार ने कृषि कर्ज के लिए 184 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है | जिससे किसानों को अल्प कालीन ऋण मिल सकेगा | केवल कृषि ऋण ही नहीं बल्कि सिंचाई ऋण भी है जिससे लगभग 15 लाख किसान प्रभावित है | इस लोन को माफ करने के लिए 207 करोड़ रुपया का प्रावधान किया गया है | वर्ष 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू है| इस योजना में काफी मात्रा में भ्रष्टाचार की भी लगातार शिकायत आ रही है लेकिन केंद्र सरकार ने बिना किसी भी तरह के नियम में बदलाव किये बिना ही 1400 करोड़ रुपया जरी किया है| इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने किसानों को राज्य सरकार का प्रीमियम देने के लिए 316 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है| इसके अलावा राज्य सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन हेतु 205 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है तथा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत सामान्य एवं हरित क्रान्ति घटकों हेतु कुल 369 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है

पशुपालन तथा मुर्गी पालन के लिए 

पशुपालन के माध्यम से आय में वृद्धि हेतु डेयरी उद्यमिता विकास योजना के लिए 15 करोड़ 12 लाख रुपया दिया गया है | मुर्गी पालन यानी पौल्ट्री फार्म के लिए 21 करोड़ रुपया दिया गया है| बकरी पालन के लिए 4 करोड़ 34 लाख रुपये का प्रावधान किया है | इसके साथ ही सूअर पालन के लिए 4 करोड़ 49 लाख के बजट का प्रावधान किया है|  

सिंचाई

एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है| प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 74 करोड़ रुपये तथा माईक्रो सिंचाई योजना के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है| सबसे बड़ी घोषणा यह किया गया है की 5 एचपी तक के कृषि पम्पों को निशुल्क विधुत दिया जायेगा| इसके लिए राज्य सरकार ने 2,164 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है| नया पम्पों तक बिजली पहुँचाने के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है | कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा का विकास तेजी से हो रहा है | इसके लिए राज्य सरकार भरी छूट देती है| वर्ष 2019 – 20 में किसानों को सब्सिडी के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है| कुल मिलाकर छोटे सिचाई योजना के लिए 2 हजार 995 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है| लघु सिंचाई योजना के लिए 1,93 करोड़ रुपया तथा मध्यम सिंचाई योजना के लिए 106 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है|

कुल मिलाकर देखा जाए तो यह बजट किसानों के लिए पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक है| इस लिए किसानों को ज्यादा फायदा होने वाला है| सबसे बड़ी बात यह है की किसानों का लोन माफ़ ही हुआ है| जिससे वह दुबारा लोन प्राप्त कर सकते है| किसानों के लिए एक और राहत की बात है की सिंचाई ऋण माफ़ कर दिया गया है इसके साथ ही 5 एच.पी. के बिजली बिल नहीं लगेगा|

Tuesday, January 29, 2019

94 पद्म श्री पुरस्कारों में 12 किसान

नई दिल्ली: 25 जनवरी को घोषित 2019 पद्म पुरस्कारों को देखा जाए तो भारत के राष्ट्रपति ने पिछले साल की तुलना में 28 अधिक पुरस्कारों के साथ 112 पुरस्कारों को मंजूरी दी। जिसमें चार पद्म विभूषण, 14 पद्म भूषण और 94 पद्म श्री पुरस्कार दिए गए। 94 पद्म श्री पुरस्कारों में से 12 कृषक हैं, जिन्हें जैविक खेती, पारंपरिक बीज संरक्षण और खेती में वैज्ञानिक तरीकों के उपयोग जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए सम्मानित किया गया है।

Padma Shri awardees include 12 farmers


12 में से चार ऐसे किसान हैं जिन्होंने बदलाव लाने के लिए खेती के पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल किया। कमला पुजारी उनमें से एक हैं, जिन्होंने धान की सैकड़ों स्थानीय किस्मों का संरक्षण किया और जैविक खेती को बढ़ावा दिया। वह ओडिशा के कोरापुट जिले में एक आदिवासी समुदाय से आती है।

उनके प्रयासों के कारण, कोरापुट गांव के साथ-साथ अन्य पड़ोसी गांवों के किसानों ने रासायनिक उर्वरकों का उपयोग छोड़ दिया। यह उसके काम की पहली मान्यता नहीं है। पुजारी को पहले ही 2002 में दक्षिण अफ्रीका में ' इक्वेटर इनिशिएटिव ' पुरस्कार मिल चुका है, और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मार्च 2018 में राज्य योजना बोर्ड का सदस्य भी रहा है।

एक और विजेता, राजकुमारी देवी, सफल फसल सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की गुणवत्ता का आकलन करने में अपनी विशेषज्ञता के लिए लोकप्रिय रही हैं। वह लोकप्रिय रूप से ' किसान चाची ' के नाम से जानी जाती हैं , और बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर जिले की रहने वाली हैं।

मध्य प्रदेश के पिथौराबाद गाँव के एक किसान और एक पुरस्कार प्राप्त बाबूलाल दहिया दो एकड़ ज़मीन के भीतर 110 किस्म की फ़सल उगा रहे हैं। वह 2005 से देसी चावल की किस्मों को इकट्ठा कर रहा है, जब उसने सीखा कि एक पारंपरिक चावल की किस्म इस क्षेत्र से गायब हो गई थी, और केवल लोककथाओं और कविताओं में वर्णित किया गया था। 

राज्य जैव विविधता बोर्ड ने भी उनके काम को मान्यता दी है, और सब्जियों और औषधीय पौधों की स्वदेशी चीज़ों को इकट्ठा करने के लिए एक बीज़ यात्रा (बीज रैली) शुरू की है । मीडिया रिपोर्टों के अनुसार , उन्होंने 24 जिलों से 1,600 से अधिक किस्मों को एकत्र किया है ।

राजस्थान के हुकुमचंद पाटीदार एक किसान हैं, जो 40 एकड़ भूमि पर जैविक खेती कर रहे हैं। उनकी उपज सात से अधिक देशों को निर्यात की जाती है। पाटीदार ने अपनी खेती की यात्रा 2004 में शुरू की थी, और वह स्वामी विवेकानंद एग्रिकट्रियल रिसर्च फार्म के संस्थापक भी हैं।

चार पारंपरिक किसानों के अलावा, सम्मानित किए गए अन्य किसानों को अन्य कृषि विधियों के साथ मिश्रित प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए जाना जाता है। वेंकटेश्वर राव यदलापल्ली, जो आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले से आते हैं, ने रयथुनेस्तम नामक एक ऐप विकसित किया है ।

यह ऐप किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करता है। यह तकनीकी जानकारी, विपणन युक्तियाँ, फसल बीमा विवरण और निकटतम प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों का विवरण प्रदान करता है।

इसके बाद राम शरण वर्मा हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में 'हाइटेक कृषि' की शुरुआत करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

हाई-टेक खेती हाइब्रिड टमाटर, केला टिशू कल्चर, रोटेशन फसल हरी खाद, बायोफर्टिलाइजर सिंचाई प्रबंधन, फसल प्रबंधन, जुताई के प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण सहित उन्नत तकनीकों को अपनाने के बारे में है।

उत्तर प्रदेश के भारत भूषण त्यागी को भी इसी श्रेणी के तहत पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।

अन्य किसानों को जो पथ-तोड़ नवाचारों के लिए सम्मानित किया गया था, उनमें वल्लभभाई वासराभाई मारवानिया शामिल हैं , जो कथित तौर पर 1943 में गुजरात में गाजर बेचने वाले पहले व्यक्ति थे, जब वह सिर्फ 13 साल के थे। बाद में उन्हें एक किस्म मिली, जिसे मधुवन गजर के नाम से जाना जाता है, जिसकी उन्होंने 1985 में खेती शुरू की थी।

2017 में, राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने इस किस्म के ट्रेल्स को मान्य किया। सरकारी रिपोर्टों से पता चलता है कि यह किस्म चिप्स, अचार और रस जैसे अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों को बनाने के लिए भी उपयुक्त है।

इसी प्रकार, हरियाणा के कंवल सिंह चौहान को बेबीकोर्न और मशरूम में नवाचार के लिए सम्मानित किया गया ; जबकि जगदीश प्रसाद पारिख को फूलगोभी की बढ़ती किस्म के लिए सम्मानित किया गया था ।
पशुपालन क्षेत्र के तहत, हरियाणा के सुल्तान सिंह और नरेंद्र सिंह को क्रमशः मत्स्य पालन और डेयरी प्रजनन में उनके काम के लिए सम्मानित किया गया।
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